
भारत सरकार द्वारा स्वर्ण आभूषणों/ शिलपाकृतियों (चाँदी के लिए अमान्य) के लिए अनिवार्य हॉलमार्किंग आदेश 15 जनवरी 2020 को जारी किया गया है। इस आदेश से स्वर्ण और शिल्पाकृतियां बेचने वाले सभी ज्वैलर बीआईएस के साथ पंजीकृत हो और 15 जनवरी 2021 से केवल 14, 18 और 22 कैरेट के हॉलमार्क वाले स्वर्ण आभूषण और शिल्पकृतियां ही बेचेगें।
केवल 14, 18 और 22 कैरेट वाले स्वर्ण आभूषणों की हॉलमार्किंग और बिक्री की जा सकती है।
वर्तमान में, देश के 234 जिलों में बीआईएस द्वारा मान्यताप्राप्त कुल 915 एसेयिंग एवं हॉलमार्किंग केंद्र हैं। देश के सभी प्रमुख आभूषण विनिर्माण केंद्रों में पहले से ही पर्याप्त संख्या में ए एंड एच केंद्र मौजूद हैं। आभूषण विनिर्माता अपने आभूषणों को हॉलमार्किंग के लिए इनमें से किसी भी ए एंड एच केंद्र को भेज सकते हैं।
वर्तमान में 28,000 आभूषण विनिर्माताओं ने बीआईएस रजिस्ट्रेशन लिया है। अनिवार्य हॉलमार्किंग के लिए आदेश जारी करने के बाद, बीआईएस पंजीकरण प्राप्त करने के लिए आवेदन करने वाले आभूषण विनिर्माताओं की संख्या में कई गुना वृद्धि होगी और इस चुनौती का सामना करने के लिए आभूषण विनिर्माताओं के पंजीकरण के लिए एक ऑनलाइन प्रणाली का विकास किया जा रहा है जिसे इस उद्देश्य के लिए नियोजित किया जाएगा।
बीआईएस अधिनियम, 2016 की धारा 29 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो धारा 14 के उप-धारा (6) या (8) या धारा 15 के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, वह एक वर्ष तक के कारावास या जुर्माने, जो एक लाख रुपये से कम नहीं होगा, के दंड का भागीदार होगा लेकिन यह जुर्माना हॉलमार्क सहित मानक मुहर या दोनों लगे सामान को विनिर्मित करने या बेचने या बेचने की पेशकश करने या लगाने या जोड़ने पर वस्तु या सामान के मूल्य का पांच गुना हो सकता है।
बीआईएस अधिनियम, 2018 की धारा 49 के अनुसार, कीमती धातु उत्पाद के प्रासंगिक मानकों के अनुरूप न होने की स्थिति में, खरीदार/ग्राहक को दिया गया मुआवजा इस तरह के उत्पादों के बिकने और परीक्षण शुल्क के लिए शुद्धता की कमी के आधार पर अंतर की मात्रा का दो गुना होगा।
बीआईएस एक सुव्यवस्थित शिकायत निवारण प्रक्रिया का अनुसरण करता है। उपभोक्ता मामलों के विभागों में शिकायतें दर्ज की जाती हैं। शिकायतें ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों माध्यमों से की जा सकती हैं। ऑनलाइन शिकायत बीआईएस मोबाइल ऐप के माध्यम से या www.bis.gov.in पर ऑनलाइन शिकायत पंजीकरण पोर्टल से की जा सकती है। शिकायत मिलने पर इसकी जांच की जाती है और इसके निवारण के लिए आगे की कार्रवाई की जाती है।
बीआईएस अधिनियम 2016 की धारा 18 (6) और 18 (7) के प्रावधानों के अनुसार, प्रमाणित निकाय या लाइसेंस धारक या उसका प्रतिनिधि शुद्धता की कमी के लिए जिम्मेदार होगा। यह सूचित किया जाता है कि अधिनियम एसेयिंग और हॉलमार्किंग केंद्र के खिलाफ भी कार्रवाई का प्रावधान करता है। यदि कोई एसेयिंग एवं हॉलमार्क केंद्र बीआईएस अधिनियम 2016 की धारा 14 के उप-धारा (6) या (8) के प्रावधान का उल्लंघन करता है, तो यह बीआईएस अधिनियम 2016 की धारा 29 की उपधारा (2) के अनुसार एक वर्ष का कारावास और जुर्माना,न्यूनतम एक लाख रू. के दंड का भागी होगा। यह भी उल्लेख किया जा सकता है कि बीआईएस अधिनियम 2016 के प्रावधानों के तहत लागू बीआईएस (हॉलमार्किंग) विनियम में ऐसे केंद्रों की मान्यता रद्द करने के प्रावधान भी किए गए हैं।
हाँ, किसी भी एसेयिंग और हॉलमार्किंग केंद्र को 200 रु॰ के परीक्षण शुल्क का भुगतान करके। बीआईएस मान्यताप्राप्त एसेयिंग और हॉलमार्किंग केंद्र की सूची बीआईएस की वेबसाइट www.bis.gov.in पर हॉलमार्किंग टैब के अंतर्गत उपलब्ध है।
अनिवार्य हॉलमार्किंग आदेश स्वर्ण आभूषण बेचने वाले आभूषण विनिर्माताओं के लिए लागू होंगे। उपभोक्ता अपने हॉलमार्क रहित आभूषणों को आभूषण विनिर्माताओं को बेच सकते हैं। आभूषण विनिर्माता आभूषणों को पिघला कर आईएस 1471:2016 में विनिर्दिष्ट भारतीय मानक के अनुसार 14, 18 और 22 कैरेट के आभूषणों का विनिर्माण कर सकते हैं और हॉलमार्किंग के बाद उसका पुनः विक्रय किया जा सकता है।
भारत में केवल 14, 18 और 22 कैरेट वाले आभूषण आयात किए जा सकते हैं और बीआईएस द्वारा मान्यताप्राप्त हॉलमार्किंग केंद्र द्वारा एसे और हॉलमार्क किए जाने के बाद पंजीकृत आभूषण विनिर्माता द्वारा बेचा जा सकता है।
नहीं, यह आदेश केवल स्वर्ण आभूषणों और शिल्पकृतियों के लिए मान्य हैं।
परिशुद्धता 999/995 वाले बुलियन / सिक्कों को बीआईएस द्वारा अनुमोदित रिफाइनरी / मिंट्स (वर्तमान में 29 लाइसेंस प्राप्त रिफाइनरियां कार्यरत हैं) से हॉलमार्क किए जाने की अनुमति है । बीआईएस लाइसेंस प्राप्त रिफाइनरियों/मिंट्स की सूची हॉलमार्किंग टैब के तहत बीआईएस की वेबसाइट www.bis.gov.in पर उपलब्ध है। www.bis.gov.in
उपभोक्ता को आभूषण बेचने वाले किसी भी आभूषण विनिर्माता / रिटेलर को बीआईएस के साथ पंजीकरण कराना आवश्यक है और अनिवार्य हॉलमार्किंग के लागू होने के बाद; अर्थात 15 जनवरी 2021 के बाद ही प्रमाणित बिक्री आउटलेट के माध्यम से हॉलमार्क किए हुए आभूषण बेचने होंगे।