
एसेयिंग और हॉलमार्किंग केन्द्र की स्थापना के लिए भारतीय मानक आईएस 15820:2009 “एसेयिंग और हॉलमार्किंग केन्द्रों को प्रचालन और स्थापना की सामान्यअपेक्षाएं ”आधार है।केंद्र स्थापित करने के बाद, मान्यता प्राप्त करने के इच्छुक केंद्र को एक सामान्य गुणता मैनुअल के आधार पर उनके द्वारा बनाई गई ,अपने गुणता मैनुअल के साथ निर्धारित आवेदन पत्र में आवेदन करना होगा।संबंधित भारतीय मानकों के अनुसार एसेयिंग और हॉलमार्किंग, परीक्षण, नमूने लेने के लिए सुविधाओं की उपलब्धता, दस्तावेज पद्धति के कार्यान्वयन की जांच करनेके लिए केंद्र के पूर्व-मान्यता प्रारंभिक निर्धारण ,उपलब्ध प्रशिक्षण, पर्याप्त सुरक्षा की उपलब्धता और सुरक्षा व्यवस्था और समय-समय पर जारी किए गए बीआईएस दिशानिर्देशों का पालन करने की प्रतिबद्धता सहित उपलब्ध जनशक्ति की अर्हताप्राप्तता बीआईएस के दो ऑडिटरों की एक टीम द्वारा की जाएगी। आवश्यक उपकरणों की सूची सामान्य गुणता मैनुअल में उपलब्ध है। संतोषजनक मूल्यांकन के आधार पर, केंद्र को 3 साल की अवधि के लिए मान्यता दी जाती है। केंद्र को हॉलमार्किंग विनियम 2016 के अनुसार शपथ पत्र-सह-वचनबद्धता भी प्रस्तुत करनी होगी।
अग्रिम सूचना और नवीकरण मूल्यांकन के बिना समय-समय पर की गई निगरानी केमूल्यांकन के दौरान पाए गए संतोषजनक प्रदर्शन के आधार पर 3 वर्षों के बाद केंद्र की मान्यता नवीकृत की जाती है। एक मान्यताप्राप्त केंद्र केवल बीआईएस लाइसेंस प्राप्त ज्वैलरों कीवस्तुओं को हॉलमार्क कर सकता है। संबद्ध आईएस के प्रावधानों के अनुसार घोषित परिशुद्धता के संबंध में किसी विशेष ज्वैलर से प्राप्त बहुमूल्य धातु (सोने / चांदी) की वस्तुओं की शुद्धता के अनुरूप होने के बाद वस्तुओंपर हॉलमार्किंग की जा सकती है। प्रमाणित ज्वैलरों द्वारा बिक्री पर हॉलमार्क वस्तुओं के स्टॉक से बीआईएस द्वारा समय-समय पर नमूने भी एकत्रित किए जाते हैं। इन नमूनों का परीक्षण बीआईएस प्रयोगशाला या बीआईएस द्वारा अधिसूचित रेफरल प्रयोगशाला में किया जाता है जिससे हॉलमार्क लगाकर बेची गए बहुमूल्य धातु वस्तुओं की शुद्धता की जांच की जाती है।